दूध और दुग्‍ध उत्‍पादों पर ‘खाद्य पदार्थों पर अपनी जानकारी सही करें’ संबंधी आम प्रश्‍न (एफ.ए.क्‍यू)। (अपलोड किया : 06.05.2019)
खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य सुदृढ़ीकरण) विनियम, 2018 संबंधी आम प्रश्‍न (एफ.ए.क्‍यू)। (अपलोड किया : 30.10.2018)
धान्‍य और धान्‍य उत्‍पादों पर ‘खाद्य पदार्थों पर अपनी जानकारी सही करें’ संबंधी आम प्रश्‍न (अपलोड किया : 20.03.2018)
खाद्य सुरक्षा और मानक (स्‍वास्‍थ्‍य अनुपूरक, न्‍युट्रास्‍युटिकल्‍स, विशेष आहारिक उपयोग के लिए खाद्य, विशेष चिकित्‍सा प्रयोजन के लिए खाद्य, कृत्‍यकारी खाद्य और नूतन खाद्य) विनियम, 2017 पर आम प्रश्‍न (एफएक्‍यू) (अपलोड किया : 27.11.2017)
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प्रश्‍न 1 : इन विनियमों के अनुपालन की तिथि क्‍या है?

खाद्य कारोबारी इन विनियमों के उपबंधों का अनुपालन 01 जनवरी, 2018 तक करेंगे।

प्रश्‍न 2 : इन विनियमों का विषय-क्षेत्र क्‍या है?

ये विनियम निम्‍नलिखित श्रेणियों के खाद्यों पर लागू होंगे:

       स्‍वास्‍थ्‍य अनुपूरक

       न्‍युट्रास्‍युटिकल्‍स

       विशेष आहारिक उपयोग विषयक खाद्य (एफ.एस.डी.यू)

       विशेष चिकित्‍सीय प्रयोजन के लिए खाद्य (एफ.एस.एम.पी)

       योजित प्रोबायोटिक संघटकों वाले खाद्य

       योजित प्रीबायोटिक संघटकों वाले खाद्य

       उपयोग की सुरक्षित परंपरा वाले पादप अथवा वानस्‍पतिक संघटकों वाले विशिष्‍ट खाद्य

       नूतन खाद्य।

प्रश्‍न 3 : इन विनियमों के अंतर्गत प्रयोजनमूलक खाद्य पदार्थों की श्रेणी क्‍यों नहीं बनाई गई?

प्रयोजनमूलक खाद्य’ से तात्‍पर्य वे खाद्य हैं, जो आधारभूत पोषण से अधिक लाभ पहुँचाते हैं और इन विनियमों में किए गए उल्‍लेख के अनुसार कतिपय रोगों तथा स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी अन्‍य दशाओं के जोखिम को कम अथवा न्‍यूनतम करने में भूमिका निभाते हैं। जिन श्रेणियों में फंक्‍शनलिटिजी को संघटकों अथवा उनसे बने उत्‍पादों से जोड़ा जा सकता है, वे इन विनियमों के तहत बना दी गई हैं और ‘प्रयोजनमूलक खाद्य’ की मूलभूत परिभाषा के तहत आती हैं।

प्रश्‍न 4 : इन विनियमों के तहत आने वाले खाद्य आम खाद्यों से कैसे भिन्‍न हैं?

विनियम 3 के उप-विनियम (13) के अंतर्गत दिए गए स्‍पष्‍टीकरण 1 और 2 के अनुसार खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य उत्‍पाद मानक और खाद्य सहयोज्‍य) विनियम, 2011 में यथाविहित खाद्य अथवा संघटक, और जिनके मानक निर्धारित हैं, तथा इन विनियमों की अनुसूची IV में उल्लिखित पादप और वानस्‍पतिक सामग्रियाँ उनके सामान्‍य अथवा प्राकृतिक रूप में पेश किए जाने पर ‘स्‍वास्‍थ्‍य अनुपूरक’ अथवा ‘न्‍युट्रास्‍युटिकल्‍स‘, अथवा ‘विशेष आहार विषयक उपयोग के लिए खाद्य’ अथवा ‘विशेष चिकित्‍सीय प्रयोजन के लिए खाद्य’ नहीं माने जाएँगे। यह भी कि खाद्य के रूप मात्र, यथा सब्जियाँ (उदाहरणार्थ भिंडी, करेला इत्‍यादि), धान्‍य (उदाहरणार्थ रागी, ज्‍वार, मोटे अनाज इत्‍यादि), फलियाँ (उदाहरणार्थ राजमा इत्‍यादि), मसाले (मिर्च, जीरा, हल्‍दी इत्‍यादि), फल (आँवला, जामुन, अंगूर इत्‍याद), और अन्‍य पादप अथवा वानस्‍पतिक सामग्रियाँ, न्‍यूनतम प्रसंस्‍कृत (साफ की हुई, तिनके आदि निकली, छाँटी हुई, सुखाई हुई अथवा पीसी गई), रस अथवा पके हुए रूप में, ‘स्‍वास्‍थ्‍य अनुपूरक’ अथवा ‘न्‍युट्रास्‍युटिकल्‍स‘, अथवा ‘विशेष आहार विषयक उपयोग के लिए खाद्य’ अथवा ‘विशेष चिकित्‍सीय प्रयोजन के लिए खाद्य’ नहीं माने जाएँगे।

प्रश्‍न 5 : किसी पारंपरिक खाद्य अथवा जन उपभोग के खाद्य में प्रीबायोटिक रेशे अथवा प्रोबायोटिक जीवाणु होने पर क्‍या वह स्‍वत: इन विनियमों के अंतर्गत आ जाता है?

नहीं। चूँकि पारंपरिक खाद्य अथवा जन उपभोग के खाद्यों में भी ये संघटक हो सकते हैं, इन्‍हें प्रोबायोटिक खाद्य अथवा प्रीबॉयोटिक खाद्य नहीं माना जा सकता।

प्रश्‍न 6 : इन विनियमों में शामिल खाद्य को तैयार करने के लिए किन संघटकों का प्रयोग किया जा सकता है?

खाद्य कारोबारी इन विनियमों में विहित विभिन्‍न अनुसूचियों से संबंधित श्रेणी से एक या अधिक संघटकों का उपयोग कर सकते हैं। तथापि ऐसा करते समय संघटकों का चयन, उनका स्‍तर, गुणता/शुद्धता संबंधी मानदंड और अन्‍य संबंधित उपबंधों का अनुपालन करना होगा। किसी विशिष्‍ट श्रेणी के मामले में, अर्थात् न्‍युट्रास्‍युटिकल्‍स, अनुसूची VI में विहित संघटकों में से कम से कम एक संघटक शामिल करना होगा, जबकि न्‍यु‍ट्रास्‍युटिकल्‍स श्रेणी में अन्‍य अनुसूचियों में विहित संघटकों का उपयोग किया जा सकता है अथवा नहीं। न्‍युट्रास्‍युटिकल्‍स श्रेणी में अनुमत अन्‍य अनुसूचियों में विहित संघटकों का मिला-जुलाकर उपयोग करने की स्थिति में औचित्‍य, उनके स्‍तर, गुणता/शुद्धता संबंधी मानदंडों और अन्‍य संबंधित उपबंधों का अनुपालन करना होगा।

प्रश्‍न 7 : क्‍या इन विनियमों के अनुसार विटामिनों और खनिजों की गोलियाँ, कैप्‍सूल, सिरप अनुमत हैं?

विनियम 3 के उप-विनियम (21) के अनुसार गोलियों, कैप्‍सूलों, सिरपों के रूप प्रस्‍तुत विटामिनों और खनिजों के मिश्रण मात्र इन विनियमों के तहत तब तक शामिल नहीं होते जब तक विटामिनों और खनिजों में किसी खाद्य का कोई तत्‍व न हो।

प्रश्‍न 8 : क्‍या इन विनियमों में विहित प्राकृतिक पादप सामग्रियों/वानस्‍पतिक सामग्रियों और उनके सत्‍त को विटामिनों और खनिजों के साथ मिलाने पर कोई प्रतिबंध है?

प्राकृतिक पादप सामग्रियों/वानस्‍पतिक सामग्रियों और उनके आसव को विटामिनों और खनिजों के साथ मिलाने पर कोई विशिष्‍ट प्रतिबंध नहीं है। यह पीईजी की जिम्‍मेदारी है कि वह कई संघटकों के मध्‍य उन संभावी प्रतिक्रियाओं पर नजर रखे, जिनके कारण स्थिरता, जैव विविधता, सुरक्षा, प्रभाव क्षमता पर प्रभाव पड़ सके और ऐसे सम्मिश्रण न किए जाएँ जिनसे नवाचारों के कार्यात्‍मक परिणामों पर प्रभावी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सके। खाद्य कारोबारियों को ऐसे सम्मिश्रण का वैज्ञानिक औचित्‍य उपलब्‍ध कराना होगा, जो विज्ञ-समीक्षित प्रकाशनों में दिए गए वैज्ञानिक साहित्‍य अथवा खाद्य कारोबारियों अथवा ऐसे पादप/वानस्‍पतिक आसवों के आपूर्तिकर्ताओं द्वारा जनित आँकड़ों/नवाचारों के आधार पर हों और जो लाइसेंस के लिए आवेदन के समय अथवा खाद्य प्राधिकरण के मांगने पर उसे उपलब्‍ध कराए जाएँगे।

प्रश्‍न 9 : क्‍या इन विनियमों में विहित खाद्य पदार्थों में अन्‍य संघटकों का उपयोग किया जा सकता है?

निर्देश सं0 जेडएफ सं0 1-5/न्‍युट्रास्‍युटिकल्‍स/एफएसएसएआई-2003, दिनांक 06 जनवरी, 2017 के अनुसार इसमें सहयोज्‍य पदाथों को छोड़कर वे संघटक हो सकते हैं जो या तो मानकीकृत हों या अन्‍य मानकीकृत खाद्य पदार्थों को तैयार करने के लिए अनुमत हों, जैसा कि खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य उत्‍पाद मानक और खाद्य सहयोज्‍य) विनियम, 2011 में विहित है।

प्रश्‍न 10 :  क्‍या इन विनियमों में विहित पोषण संघटकों का उपयोग खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य उत्‍पाद मानक और खाद्य सहयोज्‍य) विनियम, 2011 में विहित अन्‍य खाद्य श्रेणियों में किया जा सकता है?

हाँ, परंतु खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य उत्‍पाद मानक और खाद्य सहयोज्‍य) विनियम, 2011 के विनियम 2.12 में यथाविहित मालिकाना खाद्य का अनुपालन करके और इन विनियमों से संबंधित कोई दावा किए बिना।

प्रश्‍न 11 : क्‍या अनुसूची फचमें विहित खाद्य सहयोज्‍य पदार्थों की सूची गोलियों, कैप्‍सूलों और सिरपों जैसे खाद्य रूपों के लिए ही है?

हाँ। तथापि इसका खाद्य प्राधिकरण द्वारा समय-समय पर अधिसूचित अन्‍य रूपों में भी प्रयोग किया जा सकता है।

प्रश्‍न 12 : क्‍या मालिकाना खाद्य पदार्थों की परिभाषा इन विनियमों में उल्लिखित श्रेणियों के लिए लागू है?

नहीं। मालिकाना खाद्यों में स्‍वास्‍थ्‍य अनुपूरक, न्‍युट्रास्‍युटिकल्‍स, विशेष आहार विषयक उपयोग के लिए खाद्य, विशेष चिकित्‍सीय प्रयोजन के लिए खाद्य, कृत्‍यकारी खाद्य और नूतन खाद्य शामिल नहीं हैं।

प्रश्‍न 13 : क्‍या जीन-परिवर्तित जीवाणुओं अथवा उत्‍पादों का इन विनियमों के तहत आने वाले उत्‍पादों में उपयोग किया जा सकता है?

नहीं।

प्रश्‍न 14 : क्‍या जैविक खाद्यों अथवा उनके उत्‍पादों का उपयोग इन विनियमों के तहत आने वाले उत्‍पादों में किया जा सकता है?

हाँ। जैविक खेती की रीतियों से उत्‍पादित अथवा प्राप्‍त जैविक खाद्यों का इन खाद्य पदार्थों में उपयोग किया जा सकता है, बशर्ते कि खाद्य सुरक्षा और मानक (जैविक खाद्य) विनियम, 2017 का अनुपालन किया जाए।

प्रश्‍न 15 : क्‍या से पहले बेहतर/समाप्ति की तिथि तक लेबल पर घोषित मात्रा बनाए रखने के लिए विटामिनों और खनिजों की ज्‍यादा मात्रा अनुमत है?

हाँ। विनियमों की अनुसूची-I, सारणी ‘ग’ में ज्‍यादा मात्रा के उपयोग की सीमा के बारे में विशिष्‍ट उपबंध है। तथापि ज्‍यादा प्रतिशत मात्रा का उपयोग वैज्ञानिक आधार होने पर भी किया जा सकता है। खाद्य कारोबारियों को लाइसेंस के लिए आवेदन करते समय खाद्य प्राधिकरण के मांगने पर उसे ऐसे आँकड़े उपलब्‍ध कराने चाहिए। खाद्य कारोबारियों को लेबल की घोषणा और ज्‍यादा मात्रा नियत करते समय अनुसूची III के उपबंधों को भी ध्‍यान में रखना होगा। जब भी अधिक मात्रा डाली जाए, लेबल की घोषणाओं में लेबल पर उपयुक्‍त ज्‍यादा मात्राओं के योजन का वर्णन हो।

प्रश्‍न 16 : क्‍या तैयार उत्‍पाद के नमूने के विश्‍लेषण के समय सह्यता सीमा के विचलन के बारे में कोई उपबंध है?

विनियम 3 के उप-विनियम (11) में विश्‍लेषण के दौरान पोषक तत्‍वों अथवा पोषण संघटकों के घोषित मान में [-) 10 प्रति शत विचलन की सह्यता सीमा का विशिष्‍ट उपबंध है। खाद्य कारोबारियों को अपने उत्‍पाद का श्रेणीकरण कराने के लिए लाइसेंस के लिए आवेदन करते समय अपनी प्रतिचयन एवं परीक्षण पद्धतियाँ बतानी चाहिए। विश्‍लेषक नमूनों के परीक्षण के समय इन्‍हें ध्‍यान में रखेगा।

प्रश्‍न 17 : इन विनियमों की अनुसूची VI के भाग और भाग में संघटकों को अलग-अलग क्‍यों दर्शाया गया है?

अनुसूची VI के भाग ‘क’ में उन न्‍युट्रास्‍युटिकल्‍स की सूची दी गई है जिनके संबंध में शुद्धता के मानदंड और उनके दैनिक उपयोग का स्‍तर (न्‍यूनतम और अधिकतम) विहित हैं। अनुसूची के भाग ‘ख’ में उन न्‍युट्रास्‍युटिकल्‍स की सूची दी गई है जिनके उपयोग की मात्रा संगत वैज्ञानिक आँकड़ों पर आधारित है। खाद्य कारोबारियों को लाइसेंस के लिए आवेदन करते समय अथवा खाद्य प्राधिकरण द्वारा मांग किए जाने पर ऐसे आँकड़े उपलब्‍ध कराने होंगे।

प्रश्‍न 18 : क्‍या पशु मूल के संघटकों के प्रतिबंध के बारे में कोई विशिष्‍ट उपबंध हैं?

पशु मूल के संघटकों के उपयोग पर कोई प्रतिबंध नहीं है, बशर्ते ऐसे संघटक इन विनियमों के साथ-साथ खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य उत्‍पाद मानक और खाद्य सहयोज्‍य) विनियम, 2011 में वि‍हित हों। ऐसे उत्‍पादों पर खाद्य सुरक्षा और मानक (पैकेजिंग और लेबलिंग) विनियम, 2011 के अनुसार ‘शाकाहार’ अथवा ‘मांसाहार’ लिखा हो। तथापि खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनिम, 2006 की धारा 16(5) के तहत दिए गए निर्देश दिनांक 31 मई, 2017 के अनुसार किसी भी प्रकार की खाद्य वस्‍तु में लौह के स्रोत के रूप में हीम आयरन का उपयोग प्रतिबंधित है।

प्रश्‍न 19 : क्‍या इन विनियमों में बच्‍चों के खाद्य शामिल हैं?

हाँ। तथापि विनियम 6 के उप-विनियम (1) के खंड (i) के अनुसार पाँच वर्ष से अधिक उम्र के व्‍यक्ति के सामान्‍य आहार की पूर्ति करने के लिए स्‍वास्‍थ्‍य अनुपूरकों का उपयोग किया जा सकता है।

प्रश्‍न 20 : क्‍या इन विनियमों के अंतर्गत शामिल सभी श्रेणियों के खाद्य पदार्थों के लिए अनुसूची III की सीमाएँ लागू हैं?

नहीं। अनुसूची III विशेष आहार विषयक उपयोग के लिए खाद्य और विशेष चिकित्‍सा प्रयोजन के लिए खाद्य में शामिल उत्‍पादों पर लागू होती है।

प्रश्‍न 21 : इन विनियमों के तहत शामिल उत्‍पादों की पैकेजिंग और लेबलिंग अपेक्षाएँ क्‍या हैं?

इन विनियमों के तह विशिष्‍ट लेबलिंग अपेक्षाओं के अतिरिक्‍त उत्‍पाद खाद्य सुरक्षा और मानक (पैकेजिंग और लेबलिंग) विनियम, 2011 के उपबंधों का अनुपालन भी करेंगे।

प्रश्‍न 22 : क्‍या खाद्य कारोबारियों को शुद्धता संबंधी मानदंडों के लिए कोई प्रलेख प्रस्‍तुत करना होता है?

खाद्य कारोबारियों को शुद्धता संबंधी मानदंडों से संबंधित सूचना लाइसेंस के लिए आवेदन करते समय अथवा खाद्य प्राधिकरण द्वारा मांग किए जाने पर प्रस्‍तुत करनी होती है।

प्रश्‍न 23 : भाग ख की अनुसूची VI के क्रम सं0 82 में यथा उल्लिखित अन्‍य खाद्य स्रोतों से रेशा से क्‍या तात्‍पर्य है?

इससे ज्ञात सुस्‍थापित और सुरक्षित खाद्य स्रोतों से प्राप्‍त रेशा तात्‍पर्य है।

प्रश्‍न 24 : क्‍या इन विनियमों में शामिल खाद्य पदार्थों में विटामिन, खनिज और एमिनो एसिड केवल अनुसूची I और II में उल्लिखित रूपों में ही होने चाहिए?

हाँ। तथापि अनुसूची I और II के अंतर्गत दी गई सारणियों की टिप्‍पणी के अनुसार सुरक्षा और प्रभाकारिता के लिखित साक्ष्‍य वाले उपयुक्‍त एस्‍टरों, लवणों और कीलेटों का उपयोग किया जा सकता है। खाद्य कारोबारियों को ऐसे आँकड़े खाद्य प्राधिकरण को लाइसेंस के लिए आवेदन करते समय अथवा उसके मांगने पर उपलब्‍ध कराए जाएँगे।

प्रश्‍न 25 : क्‍या सभी पादपों और वानस्‍पतिक सामग्रियों द्वारा इन विनियमों की अनुसूची IV में विहत सीमाओं का अनुपालन अनिवार्य है?

अनुसूची IV में पादपों/वानस्‍पतिक सामग्रियों की सूची के साथ-साथ उनकी प्रति दिन ग्राम अथवा मिली लीटर में उपभोग की न्‍यूनतम और अधिकतम मात्राएँ दी गई हैं। तथापि, किसी खाद्य कारोबारी के इन वानस्‍पतिक सामग्रियों के आसव का उपयोग किए जाने पर आसव की मात्रा उसके निष्‍कर्षण मान पर आधारित होगी, जो अनुसूची IV में विहित कच्‍ची वानस्‍पतिक सामग्री के लिए स्‍थापित न्‍यूनतम और अधिकतम स्‍तरों के अंतर्गत होगी।

प्रश्‍न 26 : क्‍या इन विनियमों में शामिल खाद्य पदार्थों में केवल अनुसूची IV में उल्लिखित पादप और वानस्‍पतिक सामग्रियाँ ही शामिल हों?

हाँ। अनुसूची IV के अनुसार विहित पादपों और वानस्‍पतिक सामग्रियों के भागों का उपयोग किया जा सकता है। सूची में न शामिल भागों के लिए खाद्य कारोबारी को खाद्य सुरक्षा और मानक (गैर-निर्दिष्‍ट खाद्य और खाद्य संघटक) विनियम, 2017 के अनुसार एफ.एस.एस.ए.आई को अनुमोदन के लिए आवेदन करना होगा।

प्रश्‍न 27 : क्‍या इन विनियमों के अंतर्गत दावा करने के लिए एफ.एस.एस.ए.आई का पूर्वानुमोदन आवश्‍यक है?

  1. विनियम 4 में सूचीबद्ध और औषध संबंधी दावों को छोड़कर अन्‍य दावे; (ii) जिन दावों के पक्ष में वैज्ञानिक प्रमाण नहीं हैं अथवा किसी नए संघटक का उपयोग शुरू किए जाने पर; (iii) उत्‍पाद-आधारित स्‍वास्‍थ्‍य दावे – इनके लिए इन विनियमों के विनियम 4 में उल्लिखित संगत प्रलेख खाद्य प्राधिकरण को प्रस्‍तुत करके पूर्वानुमोदन लेना होगा।

तथापि इन विनियमों के अंतर्गत आने वाले खाद्य पदार्थों के पोषण और पोषण अंश संबंधी दावे एफ.एस.एस.ए.आई के पूर्वानुमोदन के बिना किए जा सकते हैं। सामग्रियों के अंश संबंधी ऐसे दावे उस खाद्य तथा पोषक तत्‍व अथवा पोषण अंश से संबंधित आँकड़ों के आधार पर किए जा सकते हैं।

प्रश्‍न 28 : क्‍या विनियम 10 8: 11 के अंतर्गत विहित लेबलिंग अपेक्षाएँ (अर्थात् योजित प्रोबॉयोटिक और प्रीबॉयोटिक संघटकों वाले खाद्य) प्रोबॅयोटिक और प्रीबॉयोटिक संघटकों का उपयोग किए जाने पर सभी खाद्य पदार्थों के लिए लागू होंगी?

नहीं। ये लेबलिंग अपेक्षाएँ इन विनियमों के केवल विनियम 10 और 11 में शामिल खाद्य पदार्थों के लिए लागू होंगी, जिनमें क्रमश: योजत प्रोबॉयोटिक और प्रीबॉयोटिक संघटकों हों। अत: यह लेबलिंग अपेक्षा प्रीबॉयोटिक अथवा/और प्रोबॉयोटिक पदार्थों वाली अन्‍य श्रेणियों के लिए लागू नहीं होगी।

प्रश्‍न 29 : क्‍या इन विनियमों में शामिल उत्‍पादों, इन्‍पीडुअल संघटकों और सहयोज्‍य पदार्थों का आयात किया जा सकता है?

हाँ, परंतु खाद्य सुरक्षा और मानक (आयात) विनियम, 2017 की अपेक्षाओं के अनुपालन के अध्‍यधीन।

प्रश्‍न 30 : क्‍या ये विनियम मिलावों पर लागू होते हैं?

खाद्य कारोबारी खाद्य सुरक्षा और मानक नियमों में अनुमत सहयोज्‍य पदार्थों का उपयोग करते हुए औद्योगिक उपयोग के लिए इन विनियमों में सूचीबद्ध दो या अधिक संघटकों वाले मिलावे बना सकते हैं। अन्‍य संबंधित उपबंधों के अतिरिक्‍त ऐसे मिलावों के लेबल पर ‘’केवल औद्योगिक प्रयोग के लिए’’, और ‘’सीधे मानव उपभोग के लिए नहीं’’ शब्‍द लिखे जाएँ। इन विनियमों के संगत उपबंधों और खाद्य सुरक्षा और मानक नियमों के अन्‍य सभी उपबंधों का अनुपालन करने वाले मिलावों का खाद्य सुरक्षा और मानक (आयात) विनियम, 2017 की अपेक्षाओं का अनुपालन करते हुए आयात भी किया जा सकता है।

प्रश्‍न 31 : क्‍या इन विनियमों में शामिल उत्‍पादों की आयात संबंधी अपेक्षाओं में कोई परिवर्तन है?

नहीं। आयात संबंधी अपेक्षाएँ मानकीकृत खाद्य पदार्थों जैसी ही रहेंगीं। इन विनियमों का अनुपालन करने वाले उत्‍पादों का आयात खाद्य सुरक्षा और मानक(आयात) विनियम, 2017 के अनुसार अनुमत होगा।

प्रश्‍न 32 : क्‍या खाद्य कारोबारी इन विनियमों के अंतर्गत खाद्य उत्‍पादों की ब्रॉड कैटेगरी के रूप में श्रेणी 13 के अंतर्गत लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकता है?

नहीं।

प्रश्‍न 33 : इन उत्‍पादों का लाइसेंस किस श्रेणी के अंतर्गत जारी किया जाएगा?

13.3 : विशेष चिकित्‍सीय प्रयोजन के लिए खाद्य

13.4 : पतला होने और वजन घटाने के लिए आहारिक फॉर्मूला

13.5 : विशेष आहार विषयक उपयोग के लिए खाद्य (श्रेणी 13.4 को छोड़कर)

13.6 : स्‍वास्‍थ्‍य अनुपूरक, न्‍युट्रास्‍युटिकल्‍स, प्रोबॉयोटिक और प्रीबॉयोटिक, उपयोग की सुरक्षित परंपरा वाले पादप अथवा वानस्‍पतिक संघटकों वाले विशेषता खाद्य

प्रश्‍न 34 : इन विनियमों के अंतर्गत खाद्य कारोबारी नवीकरण, अंतरण, परिवर्तन, सुधार के लिए अथवा नए लाइसेंस जारी कराने के लिए कब आवेदन कर सकते हैं?

तुरत। क्षेत्रीय और राज्‍य कार्यालय खाद्य कारोबारियों को नवीकरण, अंतरण, संशोधन, सुधार के लिए लाइसेंस जारी कर सकते हैं अथवा नए लाइसेंस जारी कर सकते हैं, जो भी लागू हो।

प्रश्‍न 35 : क्‍या ऐसे उत्‍पादों की लाइसेंसिग अपेक्षाओं में कोई परिवर्तन है?

नहीं। लाइसेंस लेने की अपेक्षाएँ मानकीकृत खाद्य उत्‍पादों जैसी ही रहेंगी। इन विनियमों का अनुपालन करने वाले उत्‍पादों के लिए लाइसेंस खाद्य कारोबारी द्वारा अपने आवेदन में उल्लिखित खाद्य श्रेणी के लिए खाद्य सुरक्षा ओर मानक नियम, लाइसेंसिंग विनियम के अनुसार नूतन खाद्यों को छोड़कर उत्‍पाद अनुमोदन कराए बिना स्‍वीकृत किए जाएँगे।

प्रश्‍न 36 : पहले लाइसेंसित परंतु इन विनियमों में न शामिल उत्‍पादों के बारे में क्‍या उपबंध होगा?

सहयोज्‍य पदार्थों को छोड़कर एफ.एस.एस.ए.आई द्वारा पहले अनुमोदित उन संघटकों अथवा खाद्य पदार्थों, जो इन विनियमों में दी गई अनुसूचियों में नहीं हैं, के संबंध निर्देश सं0 जेडएफ. सं0 1-5/न्‍युट्रास्‍युटिकल्‍स/एफएसएसएआई-2003, दिनांक 6 जनवरी, 2017 के अनुसार ऐसे खाद्य बनाने का लाइसेंस दिनांक 31 दिसंबर, 2017 तक वैध रहेगा। खाद्य कारोबारी ऐसे संघटकों को सूचीबद्ध अनुसूचियों में शामिल कराने के लिए सभी संबंधित विवरणों सहित खाद्य प्राधिकरण से संपर्क करें। तथापि, ऐसे संघटकों को 31 दिसंबर, 2017 के बाद शामिल करने के लिए तब तक अनुमत नहीं किया जाएगा जब तक वे इन विनियमों में शामिल न कर लिए जाएँ अथवा खाद्य प्राधिकरण द्वारा अनुमोदित न कर दिएँ जाएँ, जो भी स्थिति हो।


 

प्रश्‍न 37 : नूतन संघटकों अथवा भारत में अथवा विदेश में सुरक्षित उपयोग की परंपरा वाले उन संघटकों अथवा उत्‍पादों के बारे में क्‍या उपबंध हैं, जो इन विनियमों में शामिल नहीं हैं।

जो नूतन संघटक अथवा भारत में अथवा विदेश में कई वर्षों तक सुरक्षित उपयोग की परंपरा वाले संघटक इन विनियमों में शामिल नहीं है, उनके बारे में खाद्य कारोबारी को खाद्य सुरक्षा और मानक (गैर-निर्दिष्‍ट खाद्य और खाद्य संघटक) विनियम, 2017 के अनुसार एफ.एस.एस.ए.आई को आवेदन करना होगा।

प्रश्‍न 38 : क्‍या इन विनियमों में उल्लिखित विभिन्‍न श्रेणियों के उत्‍पाद/विनिर्मितियाँ शामिल हैं?

इन विनियमों में इनके तहत विहित विभिन्‍न उत्‍पाद श्रेणियों में प्रयोग के लिए अनुमत संघटक और सहयोज्‍य पदार्थ शामिल हैं, उत्‍पाद नहीं। खाद्य कारोबारी उत्‍पादों का नुस्‍खा अनुमत संघटकों, सहयोज्‍य पदार्थों और इन विनियमों द्वारा अनुमत अन्‍य अपेक्षाओं के अनुसार तैयार करेगा।

प्रश्‍न 39 : इन विनियमों में शामिल उत्‍पादों के संबंध में भारी धातुओं के अनुशंसित स्‍तर क्‍या हैं?

उत्‍पाद खाद्य सुरक्षा और मानक (संदूषक, आविष और अवशिष्‍ट) विनियम, 2011 में विहित ‘’गैर-निर्दिष्‍ट खाद्य’’ के अनुरूप होंगे।

प्रश्‍न 40 : विटामिनों, खनिजों और एमिनो एसिडों के लिए अनुमत सीमाएँ क्‍या हैं?

खाद्य पदार्थों में डाले गए पोषक तत्‍वों की मात्रा भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद् द्वारा विहित दैनिक आहार मान (एफएसडीयू और एफएसएमपी श्रेणी को छोड़कर) से अधिक न हो और ऐसे मानक विनिर्दिष्‍ट न होने पर अंतर्राष्‍ट्रीय खाद्य मानक संस्‍था अर्थात् कोडेक्‍स एलिमेंटेरियस कमिशन द्वारा निर्धारित मानक लागू होंगे।

प्रश्‍न 41 : <108CFU/g योजित प्रोबायोटिक संघटक वाले खाद्य के लिए जीवाणुओं की वर्धनक्षम संख्‍या क्‍या होती है?

उत्‍पाद में दावागत प्रत्‍येक प्रोबॉयोटिक सूक्ष्‍मजीवाणु में <108CFU/g हो। तथापि न्‍यून वर्धनक्षम संख्‍या के स्‍वास्‍थ्‍य लाभों के सिद्ध अध्‍ययनों वाली संख्‍याएँ भी नियत की जा सकती हैं, बशर्ते कि इसके लिए खाद्य प्राधिकरण का पूर्वानुमोदन लिया जाए।

प्रश्‍न 42 : क्‍या इन विनियमों में शामिल उत्‍पादों में हार्मोन अथवा स्‍टीरॉयड अथवा मन:प्रभावी संघटक हो सकते हैं?

नहीं। इन विनियमों में विहित खाद्यों में किसी हार्मोन अथवा स्‍टीरॉयड अथवा मन:प्रभावी संघटक का उपयोग नहीं किया जा सकता। इस संबंध में स्‍वास्‍थ्‍य अनुपूरकों में कार्य-निष्‍पादन बढ़ाने वाली औषधों के उपयोग की निगरानी रखने के लिए दिनांक 09 मई, 2017 को आदेश जारी किया गया।

 

उपापचय के जन्‍मजात दोषों (आईईसी) और अल्‍प एलर्जी दशाओं के उत्‍पादों पर आम प्रश्‍न (एफएक्‍यू) (अपलोड किया : 20.06.2017)
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प्रश्‍न 5. इन उत्‍पादों की लेबलिंग अपेक्षाएँ क्‍या हैं?

खाद्य वस्‍तुओं पर लेबलिंग खाद्य सुरक्षा और मानक (पैकेजिंग और लेबलिंग) विनियम, 2011 के अनुसार हो।

परंतु खाद्य सुरक्षा और मानक (पैकेजिंग और लेबलिंग) विनियम, 2011 के विनियम 2.4.1 के अनुसार शिशु आहार विकल्‍पी और शिशु आहार के लिए निर्धारित विशिष्‍ट लेबलिंग अपेक्षाएँ इन उत्‍पादों पर लागू नहीं हैं।

उत्‍पादक खाद्य सुरक्षा और मानक (आयात) विनियम, 2017 के अनुसार संशोधनीय लेबलिंग अपेक्षाओं अर्थात् (i) एफ.एस.एस.ए.आई लोगो और लाइसेंस संख्‍या, (ii) आयातक का नाम और पता, (iii) शाकाहार/मांसाहार लोगो, और (iv) मालिकाना खाद्य के प्रजातिगत नाम, प्रकृति और संघटन सहित श्रेणी अथवा उप श्रेणी में संशोधन कर सकता है। इनमें से किसी विचलन के लिए आयातक एफ.एस.एस.ए.आई को विशिष्‍ट अनुरोध के साथ लेबल प्रस्‍तुत कर सकता है।

 

उपापचय के जन्‍मजात दोषों (आईईसी) और अल्‍प एलर्जी दशाओं के उत्‍पादों पर आम प्रश्‍न (एफएक्‍यू) (अपलोड किया : 04.05.2017)
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प्रश्‍न 1 : इस निर्देश के विषय-क्षेत्र में कौन से उत्‍पाद शामिल हैं?

शामिल उत्‍पाद निर्देश के अनुबंध में सूचीबद्ध आईईएम और एलर्जीकारी दशाओं से पीडि़त शिशुओं और बड़े बच्‍चों के लिए आशयित विशेष उत्‍पाद हें।

प्रश्‍न 2 : इस निर्देश के अनुपालन की तिथि क्‍या है और इसका अनुपालन किसे करना है?

इस निर्देश को 02.11.2016 से लागू किया गया है। इस निर्देश का अनुपालन केंद्रीय और राज्‍य खाद्य प्राधिकारियों (प्राधिकृत अधिकारी सहित) द्वारा तथा इसके विषय-क्षेत्र के तहत शामिल उत्‍पादों का उत्‍पादन अथवा आयात करने के इच्‍छुक खाद्य कारोबारियों को करना है। इस निर्देश की प्रभावी अवधि दो वर्ष अथवा उन उत्‍पादों के मानक निर्धारित और अधिसूचित हो जाने तक, जो भी कम हो, होगी।

 

प्रश्‍न 3 : क्‍या आईएमएस अधिनियम और उसके तहत बने विनियम इन खाद्य पदार्थों पर लागू होंगे?

नहीं। ये आहार न तो शिशु आहार विकल्‍पी हैं, न ही शिशु आहार हें, बल्कि अल्‍पप्राय विकारों/चिकित्‍सीय दशाओं से उत्‍पन्‍न विशेष चिकित्‍सीय जरूरतों को पूरा करने के लिए हैं। आगे, ये खाद्य पदार्थ चिकित्‍सक की निगरानी में लिए जाने होते हैं। ये खाद्य, खाद्य पदार्थों की विशेष श्रेणी के अंतर्गत आते हैं, जिन्‍हें विशेष चिकित्‍सीय प्रयोजन के खाद्य (एफएसएमपी) कहा जाता है और जो शिशु दुग्‍धी विकल्‍पी, दूध पिलाने की बोतल और शिशु आहार (उत्‍पादन, आपूर्ति और वितरण विनियमन) अधिनियम, 1992 के विषय-क्षेत्र से बाहर हैं।

प्रश्‍न 4 : क्‍या फिर भी आयात संबंधी अपेक्षाएँ बदल जाएँगी?

ऐसे उत्‍पादों का आयात उनके संघटन, लेबलों और दावों की उचित जाँच के बाद एफ.एस.एस.ए.आई की विशेष अनुमति से किया जा सकेगा। अनुमोदित संघटन, लेबल और दावों का सख्‍ती से अनुपालन करने वाली खेपों का आयात दुबारा जाँच की आवश्‍यकता के बिना किया जा सकती हैं। संघटन अथवा लेबल की सूचना अथवा दावों में कोई अंतर होने पर आयातक कंपनी आयात से पर्याप्‍त पहले एफ.एस.एस.ए.आई को आवश्‍यक कागजात प्रस्‍तुत करे।

चूँकि इस निर्देश के तहत आने वाले उत्‍पाद जीवन रक्षक उत्‍पाद होते हैं, नौभारों की जाँच प्राधिकृत अधिकारी और/अथवा अन्‍य संबंधित अधिकारियों द्वारा प्राथमिकता के आधार पर की जाए। नौभार की निर्मुक्ति नौपरिवहन के प्रलेखों, लेबल, विश्‍लेषण प्रमाण-पत्र के अनुसार विश्‍लेषण और परीक्षण की तथा खाद्य सुरक्षा से संबंधित यथावश्‍यक अन्‍य मानदंडों की संतोषजनक जाँच के बाद की जाएगी।

प्रश्‍न 5. इन उत्‍पादों की लेबलिंग अपेक्षाएँ क्‍या हैं?

खाद्य वस्‍तुओं पर लेबलिंग खाद्य सुरक्षा और मानक (पैकेजिंग और लेबलिंग) विनियम, 2011 के अनुसार हो।

परंतु खाद्य सुरक्षा और मानक (पैकेजिंग और लेबलिंग) विनियम, 2011 के विनियम 2.4.1 के अनुसार शिशु आहार विकल्‍पी और शिशु आहार के लिए निर्धारित विशिष्‍ट लेबलिंग अपेक्षाएँ इन उत्‍पादों पर लागू नहीं हैं।

उत्‍पादक खाद्य सुरक्षा और मानक (आयात) विनियम, 2017 के अनुसार संशोधनीय लेबलिंग अपेक्षाओं अर्थात् (i) एफ.एस.एस.ए.आई लोगो और लाइसेंस संख्‍या, (ii) आयातक का नाम और पता, (iii) शाकाहार/मांसाहार लोगो, और (iv) मालिकाना खाद्य के प्रजातिगत नाम, प्रकृति और संघटन सहित श्रेणी अथवा उप श्रेणी में संशोधन कर सकता है। इनमें से किसी विचलन के लिए आयातक एफ.एस.एस.ए.आई को विशिष्‍ट अनुरोध के साथ लेबल प्रस्‍तुत कर सकता है।

प्रश्‍न 6 : क्‍या आईबीएम विकारों और एलर्जीकारी दशाओं के लिए एलर्जी न्‍यूनीकरण फॉर्मूलों पर भारतीय मानक ब्‍यूरो का प्रमाणन चिह्न होना चाहिए?

नहीं। ये उत्‍पाद वैयक्तिक प्रकृति की उपर्युक्‍त दशाओं के लिए विशिष्‍ट आवश्‍यकताओं को ध्‍यान में रखते हुए ग्राहक के अनुकूल बनाए हुए होते हैं। अत: खाद्य सुरक्षा और मानक (विक्रय पर प्रतिषेध और निर्बंधन) विनियम, 2011 का विनियम 2.3.14(4) इन खाद्यों पर लागू नहीं है।

प्रश्‍न 7 :  क्‍या आईईएम विकारों के लिए ये खाद्य और एलर्जीकारी दशाओं के लिए एलर्जी न्‍यूनीकरण फॉर्मूला विधिक मापविज्ञान नियमों की दूसरी अनुसूची (मानक पैक साइज के लिए) के अंतर्गत आएँगे?

नहीं। विधिक मापविज्ञान प्रभाग, उपभोक्‍ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के आदेश डब्‍ल्‍यूएम’19(60)/2016, दिनांक 14.12.2016 के अनुसार विधिक मापविज्ञान (पैकेजबंद वस्‍तुएँ) नियम, 2011 की दूसरी अनुसूची में निर्धारित पैक साइज दिनांक 14.12.2017 तक इस निर्देश के तहत नहीं आएँगे।

प्रश्‍न 8 : किन बंदरगाहों पर ऐसे उत्‍पादों का आयात किया जा सकता है?

शुरू में दिल्‍ली-8 में आयात किए जा सकेंगे; मुंबई बंदरगाह में खेपों की निर्बाध निर्मुक्ति होगी।